आरयू: 1.60 लाख छात्रों ने कराया पुनर्मूल्यांकन, आरटीआई में 5400 ने मांगी काॅपी, कहीं नंबर नहीं जोड़े, कहीं उत्तर नहीं जांचे

आरयू में मुख्य परीक्षा की कॉपियाें की जांच से छात्र कितने नाखुश हैं, इसका अंदाजा पुनर्मूल्यांकन के आंकड़ाें से लगाया जा सकता है। राजस्थान यूनिवर्सिटी का इस सत्र का परिणाम अाने के बाद 1,60,500 विद्यार्थियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा 5400 ने आरटीआई में काॅपी मांगी।


इनकी जांच जब विशेषज्ञों से कराई गई तो पता चला कि कई कॉपियों में नंबर देकर ठीक से जाेड़े नहीं गए हैं। कई उत्तरों काे बिना जांचे छाेड़ दिया गया। परीक्षा विभाग ने नंबर बढ़ाते हुए फिर रिजल्ट जारी किया था। इसमें 130 शिक्षकों की लापरवाही सामने आई थी, जिनमें से 3 दिन पहले यूनिवर्सिटी ने 120 शिक्षकों काे बहिष्कृत करने की लिस्ट निकाली थी। हैरानी की बात है कि अब डीबार करने के इस आदेश काे समीक्षा के नाम पर राेक दिया गया है।


आरयू ने इस साल करीब 45 लाख काॅपियाें की जांच कराई। हर शिक्षक काे 250 से ज्यादा कॉपियां दी जाती हैं। रोज करीब 30 कॉपियां। कई शिक्षक आरयू के अलावा अन्य यूनिवर्सिटी की कॉपियां भी जांचते हैं। ताकि पेमेंट ज्यादा मिल सके।


डीबार किए गए 120 शिक्षकों में 30 आरयू व सरकारी कॉलेजों के हैं
जिन 120 शिक्षकों काे लापरवाही पर परीक्षा कार्याें से बहिष्कृत किया था, उसमें 30 शिक्षक ताे आरयू व गवर्नमेंट कॉलेजों के हैं। अब उस आदेश काे स्थगित कर दिया है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि इसकी समीक्षा करेंगे।



  • कुलपति प्राे. आरके काेठारी ने बताया कि शिक्षक संघ ने मुलाकात की थी। कई आपत्तियां आई हैं। एक बार सभी मामलों की समीक्षा करेंगे। इसलिए फिलहाल आदेश काे राेक दिया है। 

  • रूटा के अध्यक्ष डाॅ. राहुल चाैधरी बोले- जिन शिक्षकों से पहली बार गलती हुई उन्हें वार्निंग तक नहीं दी, बल्कि ज्यादा गलतियां करने वाले शिक्षकों के साथ डीबार कर दिया गया। समीक्षा ताे हाेनी चाहिए। 

  • एबीवीपी के होशियार मीणा बोले- छात्र मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हुए हैं।  विवि ने एेसे शिक्षकों काे परीक्षा कार्याें से नहीं हटाया ताे छात्रों के साथ अन्याय होगा।

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