बॉक्सर विजेंदर सिंह ने हिंदू-मुस्लिम और प्याज को लेकर किया ये कमेंट, सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

साल 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में मुक्केबाज विजेंदर सिंह (Boxer Vijender Singh) ने भारत को कांस्य पदक दिलाया था. उसके बाद साल 2015 में विजेंदर ने एमेच्योर बॉक्सिंग छोड़कर प्रोफेशन सर्किट में जाने का फैसला किया था. इस बीच उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. हालांकि इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. ओलिंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं. अब उन्होंने हिंदू-मुस्लिम और प्याज को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है.


...तो कौमें 'प्याज' की चिंता नहीं करतीं


दरअसल, हरियाणा स्थित भिवानी के मुक्केबाज विजेंदर सिंह (Vijender Singh) ने ट्वीट किया है, 'जब मसाला हिंदू-मुसलमान वाला अच्छा लगने लगे तो कौमें 'प्याज' की चिंता नहीं करतीं.' हालांकि विजेंदर ने ये साफ नहीं किया है कि ये टिप्पणी उन्होंने किस मुद्दे पर की है, लेकिन माना जा रहा है कि 34 वर्षीय मुक्केबाज विजेंदर का ये कमेंट नागरिकता संशोधन विधेयक से जुड़ा है. बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है, जबकि प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर भी देशभर में विरोध की लहर है.


2008 ओलिंपिक में जीता था कांस्य पदक


बॉक्सर विजेंदर सिंह (Boxer Vijender Singh) के इस ट्वीट पर कई लोगों ने कमेंट किए हैं. इनमें से एक यूजर ने कहा है कि हिंदू-मुस्लिम के चक्कर में कौमें सब कुछ लुटवा भी देती हैं. वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा है कि लोग जान-बूझकर मुस्लिम एंगल तलाश रहे हैं. विजेंदर ने एमेच्योर बॉक्सर के तौर पर साल 2008 में बीजिंग में हुए ओलिंपिक गेम्स में मिडिलवेट वर्ग का कांस्य पदक जीता था. साल 2009 में मिलान में खेली गई वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया था.


टोक्यो में वापसी का भरोसा


मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि वह अगले साल होने वाले टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारतीय दल में वापसी की कोशिशों में जुटे हैं. विजेंदर साल 2015 में प्रोफेशनल बॉक्सर बनने के चलते रियो ओलिंपिक में हिस्सा नहीं ले सके थे. उन्होंने कहा, 'निश्चित रूप से मैं टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेने की योजना बना रहा हूं. खेल में कुछ भी आसान नहीं रहता है. कई सारे कमिटमेंट पूरे करने होते हैं. जैसे कि कैंप में दो महीने रहना जरूरी होता है. मैं अपने पूरे करियर में ऐसा करता आया हूं.'